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Saturday, September 14, 2024

Hindi kids story

 किसी गांव में दो बहनें रहती थी एक का नाम 

सनम और दूसरी का नाम जंदा था सनम कम पढ़ी 

लिखी थी जिसकी वजह से उसकी शादी एक गरीब 

खानदान में होती 

है 

जमदाहा से उसकी शादी एक अमीर खानदान में 

होती है 

फखर तकब्बल तो पहले से ही था लेकिन शादी 

के बाद उसका गुरूर उसका तकब्बल और ज्यादा 

बढ़ गया शादी के बाद 

जमदाहा घुमण था दोनों बहने आसपास ही रहती 

थी 

जमदाहा पता है मेरे शौहर ने मुझे अभी-अभी 

सोने का हार गिफ्ट किया तुम्हारे खेत के 

पास वाला जो खेत है हम वह भी खरीद रहे हैं 

तुमने तो शादी के बाद कुछ भी नहीं खरीदा 

होगा मगर कर भी क्या सकते हैं तुम्हारा 

शौहर तो बड़ी मुश्किल से दिन की रोटी पूरी 

करता है वह तुम्हें क्या खरीद कर 

देगा सनम को 

[संगीत] 

[प्रशंसा] 

के बहुत तंग हालात चल रहे थे दो वक्त की 

रोटी भी बड़ी मुश्किल से पूरी हो रही थी 

अरे जमदाहा हमारे घर में पकाने के लिए कुछ 

भी नहीं है ऐसे में मेरे शौहर एक जमींदार 

के घर में गए लेकिन उसने पैसे देने से 

इंकार कर दिया जंदा बहन मेरी कुछ मदद करो 

फसल बिकते ही हम तुम्हारे पैसे तुम्हें 

वापस लुटा 

संगीत] 

अरे बहन तू आज मुझसे पैसे मांगने आई है 

अगर तू मुझसे कल मांगने आती तो मैं 

तुम्हें दे देती मैंने तुम्हें बताया था 

ना कि हमने तुम्हारे खेत के पास वाला खेत 

खरीदा है तो आज सुबह सुबह जितने भी पैसे 

थे हमने उन्हें दे दिए आज तो घर में कोई 

भी पैसे नहीं है सनम जब भी 

[प्रशंसा] 

की मदद नहीं

की एक दिन सनम ने सोचा कि समदा ने भी पैसे 

देने से इंकार कर दिया है अब मैं क्या 

करूं एक काम करती हूं मैं अपने बड़े भाई 

के पास जाकर पैसे मांगती हूं वह कभी मुझे 

पैसे देने से इंकार नहीं 

[संगीत] 

करेंगे रास्ते में सरम को एक बूढ़े बाबा 

नजर आते 

अरे बाबा आप इतनी गर्मी में यह मटका लेकर 

कहां जा रहे हैं अरे बेटी कहीं नहीं बस 

पास ही मेरा घर है मैं उधर जा रहा हूं और 

वही यह पानी का मटका भी देना है अच्छा मैं 

भी उधर ही जा रही हूं लाइए यह मटका मुझे 

दे दे मैं छोड़ आती 

हूं नहीं बेटी नहीं मैं यह मटका खुद ही ले 

जाऊंगा तुम क्यों तकलीफ उठा रही हो अरे 

बाबा मैं भी तो आपकी बेटी जैसी हूं लाइए 

यह मटका मुझे दे दे फिर सनम मटका लेकर उस 

बाबा के साथ साथ उसके घर तक जाती है और 

मटका छोड़ आती है उसके बाद सनम अपने भाई 

के घर पहुंच जाती है जब पहुंचती है तो 

देखती है कि भाई उसका घर नहीं है अरे भाभी 

भैया कहां गए हैं वो अभी घर पर नहीं है 

भाभी मुझे भैया से काम था 

हमारे घर के हालात बहुत तंग है खाना पकाने 

के लिए भी कुछ नहीं है मुझे कुछ पैसों की 

जरूरत थी तो इसमें हम क्या कर सकते हैं 

हमारे पास कोई पैसों का पेड़ है जो तोड़ 

तोड़ के तुम लोगों को देते रहे तुम्हें तो 

पैसे मांगने के अलावा कोई काम ही नहीं है 

मेरे पास कोई पैसे नहीं है ठीक है इसके 

अलावा कोई काम है तो बताओ वरना चलती बनो 

यहां से भाभी ने सनम को घर से भगा दिया और 

सनम अपने गांव वापस लौटने लगी सनम को 

सामने बाबा नजर आता है और बाबा सनम से 

कहता है बेटा तुम इतनी परेशान क्यों हो 

सनम अपनी सारी दास्ता बाबा को सुनाती है 

बाबा कहता है बेटा तुम इतनी दूर से पैदल 

चलकर आई हो और अब फिर तुम पैदल चलकर वापस 

जाओगी तुम एक काम करो कि मेरा यह एक म का 

रख लो इसमें लड्डू है अगर रास्ते में 

तुम्हें भूख लगे तो तुम इसमें से खा 

लेना बाबा के बहुत असरार करने पर वह मटका 

सनम ले लेती 

है मटका लेकर सनम वापस अपने घर आ जाती 

है सनम तुम अपने भाई के पास गई थी 

उन्होंने क्या जवाब दिया हां मैं गई थी 

लेकिन भैया तो घर पर नहीं थे और भाभी ने 

मुझे भगा 

दिया अच्छा मतलब आज भी हम लोगों को भूखा 

ही रहना 

पड़ेगा नहीं नहीं आज हमें भूखा नहीं रहना 

पड़ेगा आज मैं जब भैया के घर से वापस आ 

रही थी तो मुझे रास्ते में एक बाबा मिले 

तो उन्होंने मुझे एक मटका दिया जो लड्डुओं 

से भरा हुआ है बाबा ने बोला था कि अगर 

तुम्हें रास्ते में भूख लगे तो तुम खा 

लेना लेकिन मैंने नहीं 

खाया मैं अभी वह मटका लेकर आती हूं ऐसे ही 

सनम जब मटके को खोलती है तो देखती है कि 

वह सोने से भरा हुआ है अरे बाप रे बाप 

इतना सारा 

सोना इस तरह सोने को देखकर सनम और उसके 

शौहर की खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता इस 

तरह सनम अमीर हो गई 

सनम की अमीरी का 

जमदाहा जलती 

है अरे सुनो जी मेरी बहन इतनी अमीर कैसे 

हो गई उसके पास इतना पैसा कहां से आया कुछ 

दिन पहले तो वह भिखारियों की तरह मुझसे 

मदद मांगने आई थी और अब अचानक से इतना 

पैसा हां मैं भी यही सोच रहा हूं कि 

तुम्हारी बहन का शौहर तो खेतीबाड़ी करता 

था तो अचानक उसके पास इतने पैसे कहां से आ 

गए कुछ दिन पहले मैंने तुम्हारी बहन को 

भैया के घर जाते हुए देखा 

था क्या भाई की तरफ मुझे तो लगता है कि यह 

भाई की तरफ से ही इतनी सारी दौलत लेकर आई 

होगी तुम्हारा भाई भी कैसा है जिसने सारी 

दौलत तुम्हारी बहन को दे दी उसकी बहन तो 

तुम भी हो ना भाई के लिए तो दोनों बहनें 

बराबर होती 

तो दोनों बहनों को बराबर का हिस्सा देना 

चाहिए हां तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो 

जितना छोटी बहन का जैदाद पे हक है उतना 

मेरा भी है हम कल सुबह ही भाई के घर 

[संगीत] 

चलेंगे फिर वह दोनों सुबह-सुबह अपने भाई 

की तरफ जाते हैं और रास्ते में उन्हें भी 

वही बाबा दिखाई देते 

हैं अरे बेटी मेरा यह मटका उठाकर कंधों पर 

रख दोगी क्या क्या तुम अपना काम खुद नहीं 

कर सकते हो मैं बूढ़ा हो गया हूं बेटी अब 

मुझसे ज्यादा वजन नहीं 

उठता मेहरबानी करके बेटी यह मटका मेरे 

कंधे पर रख दो रख दो बेटी क्या तू मुझसे 

पूछकर बुढ़ा हुआ था खुद ही तो बुढ़ा हुआ 

है 

जमदाहा से दोनों चले जाते हैं भाई के घर 

पहुंच जाती है अरे भाई कुछ दिन पहले क्या 

सनम इधर आई थी क्या हां बहन सोनम आई थी 

लेकिन मैं उससे मिल नहीं पाया क्योंकि मैं 

किसी काम से बाहर शहर गया हुआ था तुम्हारी 

भाभी ही उनसे मिली थी भाभी आपने सनम को 

ऐसा क्या दिया है कि वो जब से यहां से गई 

है व बहुत अमीर हो गई है है नहीं हमने तो 

उसे कुछ नहीं दिया हमारे पास कुछ होगा तभी 

तो उसे देंगे तो इसका मतलब कि आपने उसे 

कुछ नहीं दिया ठीक है भैया अब हम चलते हैं 

अरे भाई ने तो सनम को कुछ नहीं दिया फिर 

इनको इतने पैसे कहां से मिले हां मैं भी 

यही सोच रहा हूं धूप में चलते चलते मुझे 

बहुत जोर की प्यास लग रही है तुम जल्दी से 

जल्दी जाकर मेरे लिए पानी लेकर आओ मुझे 

चक्कर आ रहे हैं 

जमदाहा बेटा मेरे घर की तरफ कैसे आना हुआ 

बाबा क्या एक लोटा पानी मिल सकता है हां 

हां बेटी क्यों नहीं आओ आओ मेरे घर के 

अंदर 

आओ बाबा हमने तो तुम्हारी मदद करने से 

इंकार कर दिया था लेकिन फिर भी तुमने 

हमारी मदद की 

तो क्या हुआ बेटी वह तुम्हारा खलाक था और 

यह मेरा खलाक है और बेटी मैंने तुम लोगों 

को इस गांव में पहली बार देखा तुम लोग इस 

गांव में किसके घर आए हो बाबा इस गांव में 

हमारे बड़े भैया रहते हैं हम उनसे मिलने 

के लिए आए हैं अच्छा बेटी तुम सनम की बहन 

हो ना तुम्हारी एक और भी बहन है ना 

जो थोड़े दिन पहले अपने भाई से मिलने आई 

थी हां बाबा वह आई तो थी कुछ दिन पहले 

लेकिन आपको कैसे पता बेटी आज जिस जगह मुझे 

तुम मिली थी उसी जगह कुछ दिन पहले 

तुम्हारी बहन भी मुझे मिली थी उस बेचारी 

ने मुझसे मेरा मटका लेकर मेरे घर तक छोड़ा 

था बाबा आपको पता है कि जब से मेरी बहन 

भाई के पास से होकर गई है उसके बाद बहुत 

सारी दौलत हो गई है बताता हूं बेटी बताता 

हूं बेटी उसके पास जो भी दौलत आई है वह 

उसके अच्छे कर्म की वजह से आई है बाबा 

मुझे तुम्हारी कुछ बात समझ नहीं आ रही और 

मेरी बहन के इतने क्या अच्छे कर्म है जो 

उसे इतना कुछ मिल गया बेटी यहां पर जितने 

भी मटके रखे हुए हैं वो आम मटके नहीं 

जो जिंदगी में जितना कर्म करेगा वह इस 

मटके से उतना कर्म पाएगा अच्छा बाबा मैं 

तुम्हारी बात बहुत अच्छे से समझ गई कि 

यानी यह मटके कर्मों के मटके हैं जैसा 

इंसान का कर्म होगा उतना ही उसे इस मटके 

से कर्म मिलेगा ठीक कहा बेटी बिल्कुल ठीक 

कहा अगर आपको मुश्किल ना हो तो एक घड़ा 

मैं भी ले सकती 

हूं हां बेटी क्यों नहीं ले जाओ तुम भी ले 

जाओ तुम भी अपने कर्म और अपनी नियत का फल 

पाओ 

जमदाहा और वोह दोनों वहां से चले जाते 

[संगीत] 

हैं फिर रात के वक्त 

जमदाडे निकलने लगते हैं बाप रे बाप अपने 

मटके में से तो कीड़े निकले हां कौन सा 

गलत निकले हैं हमें अपने कर्मों के हिसाब 

से ही अपना फल मिला है हम लोग बहुत लालची 

थे तुम्हारी बहन हमारे पास मजबूरी की मारी 

मदद मांगने आई थी लेकिन हमने उसकी कोई मदद 

नहीं की जब ऐसे कर्म हो तो उससे अच्छा फल 

कैसे हम पा सकते हैं तुमने बिल्कुल ठीक 

कहा मुझे अपने पैसों का बहु घमंड था मैंने 

कभी अपनी बेचारी बहन की मजबूरी नहीं समझी 

मैं हमेशा अपने पैसों की वजह से उसे नीचा 

दिखाती 

जमदाहा को अपनी गलती पर बहुत पछतावा हो 

रहा था 


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